The Ultimate Guide To Shodashi

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Tripura Sundari's form is not merely a visual representation but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees by symbols to be familiar with deeper cosmic truths.

It was here much too, that The good Shankaracharya himself put in the impression of the stone Sri Yantra, Probably the most sacred geometrical symbols of Shakti. It could possibly nevertheless be seen right now while in the interior chamber in the temple.

Shodashi is noted for guiding devotees towards larger consciousness. Chanting her mantra encourages spiritual awakening, encouraging self-realization and alignment with the divine. This benefit deepens inner peace and knowledge, building devotees extra attuned to their spiritual objectives.

Shodashi is deeply connected to the path of Tantra, exactly where she guides practitioners toward self-realization and spiritual liberation. In Tantra, she's celebrated since the embodiment of Sri Vidya, the sacred information that results in enlightenment.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ website में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥

या देवी दृष्टिपातैः पुनरपि मदनं जीवयामास सद्यः

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया

कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥

Lalita Jayanti, a big Pageant in her honor, is celebrated on Magha Purnima with rituals and communal worship functions like darshans and jagratas.

सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।

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